हज़रत उन्स बिन मालिक (रज़ि.) से रवायत है कि रसूल अल्लाह (सल.) एक जवान के पास तशरीफ़ ले गये जिस पर हालते नज़अ तारी थी. आप ने उस से पूछा क्या उम्मीद रखते हो?
उस ने कहा ऎ अल्लाह के रसूल खुदा की कसम मैं अल्लाह से उम्मीद रखता हूं कि वो मेरे गुनाह माफ़ कर देगा और मुझे जन्नत में दाखिल करेगा.
आप (सल.) ने फ़रमाया " जिस कल्ब में उम्मीद और खौफ़ दोनो जमा होते हैं वो ज़रुर निजात पाता है.