Friday, February 15, 2008

उम्मीद और खौफ़ (हदीस)


हज़रत उन्स बिन मालिक (रज़ि.) से रवायत है कि रसूल अल्लाह (सल.) एक जवान के पास तशरीफ़ ले गये जिस पर हालते नज़अ तारी थी. आप ने उस से पूछा क्या उम्मीद रखते हो?
उस ने कहा ऎ अल्लाह के रसूल खुदा की कसम मैं अल्लाह से उम्मीद रखता हूं कि वो मेरे गुनाह माफ़ कर देगा और मुझे जन्नत में दाखिल करेगा.
आप (सल.) ने फ़रमाया " जिस कल्ब में उम्मीद और खौफ़ दोनो जमा होते हैं वो ज़रुर निजात पाता है.

हदीस

" बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्रहीम"
सैयदना अबू हुरैरा (रज़ि) से मर्वी है कि रसूल (सल.) ने फ़रमाया कि दो कलमे ज़बान पर हल्के, मीज़ान में भारी और रहमान को बडे. प्यारे हैं

हदीस

" बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम"
हज़रत उन्स (रज़ि.) से रवायत है कि नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि अपने मुसलमान भाई की (ज़ालिम हो कि मज़लूम) इमदाद करो.
एक शख्स ने अरज़ किया कि या रसूल अल्लाह (सल.) अगर ज़ालिम हो तो भी उस की इमदाद करुं?
तब रसूल (सल.) ने फ़रमाया कि उसे ज़ुल्म करने से रोको बस ये ही उस की मदद है.
(बुखारी)