"बिस्मिल्लाह हिर्रेहमान निर्रहीम" हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ि) से रवायत है कि हुज़ूर (सल.) ने इरशाद फ़रमाया कि, अल्लाह के साथ शरीक ठहराना वालिदैन की नाफ़रमानी करना किसी जान को नाहक कत्ल करना खुदकुशी करना और जानते बूझते हुए झूठी कसम उठाना
हज़रत अबू दाउद (रज़ि) से रवायत है कि, हुज़ूर (सल.) ने फ़रमाया कि जो शख्स इस दुआ को सुबह शाम तीन बार पढे.गा अल्लाह पर लाज़िम है कि उसे कयामत वाले दिन राज़ी कर दे.