
हज़रत उन्स (रज़ि.) से रवायत है कि नबी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने फ़रमाया कि अपने मुसलमान भाई की (ज़ालिम हो कि मज़लूम) इमदाद करो.
एक शख्स ने अरज़ किया कि या रसूल अल्लाह (सल.) अगर ज़ालिम हो तो भी उस की इमदाद करुं?
तब रसूल (सल.) ने फ़रमाया कि उसे ज़ुल्म करने से रोको बस ये ही उस की मदद है.
(बुखारी)
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