Friday, March 7, 2008

सोचो फ़िर गाना गाओ

कुछ गाने ऐसे होते है जो खुदा के साथ तमाम तरह के रिश्ते बनते है खुदा के साथ किसी दुसरे को माबूद मनवाते है ऐसे गानों को आप सुन कर या गाकर खुदा से खुली एलान-ए-जंग कर रहें है
कभी आप ने गौर किया कि आप क्या गारहे हैं
अल्लाह हम सब को कलमा-ए-तौहीद का विर्द करने की तौफ़ीक अता फ़रमा।
आमीन

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